Kya hain enxiety? कया हैं इसके लक्षण?जानिए कारण और इलाज.

Kya hain enxiety? कया हैं इसके लक्षण?जानिए कारण और इलाज.

किसी व्यक्ति के एंग्जायटी डिजीज की वो स्तिथि हैँ जिसमे वो स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर सामान्य नाही कहा जा सकता!स्वस्थ व्यक्ति की तुलना मनोरोगी का व्यवहार असामान्य होता हैँ!इन्हे, मुख्यता मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी, या मानसिक विकार कहा जाता हैँ!

Kya hain enxiety? कया हैं इसके लक्षण?जानिए कारण और इलाज.
Kya hain enxiety? कया हैं इसके लक्षण?जानिए कारण और इलाज.

 म तौर पर भारत मे पिछले 10 सालो मे enxiety डिजीज के 33,573 केसेस मिले हैं ! लेकिन हमें enxiety डिजीज क्या हैं ये पूरी तरह से मालूम नाही हैं! तो चली ये आज के ब्लॉग मे हम एग्जायटी के बारे मे जानेंगे

Kya hain enxiety?

किसी व्यक्ति के एंग्जायटी डिजीज की वो स्तिथि हैँ जिसमे वो स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर सामान्य नाही कहा जा सकता!स्वस्थ व्यक्ति की तुलना मनोरोगी का व्यवहार असामान्य होता हैँ!इन्हे, मुख्यता मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी, या मानसिक विकार कहा जाता हैँ!

एंग्जायटी मुख्यता  अपने सिर मे केमिकल इबैलेंस की वजह से होती हैँ!और ये धीरे धीरे बढ़ता जाता हैँ! किसी व्यक्ति मे सहनशीलात, या किसी परिस्थिति का सामना करने की सामर्थ्य की कमी, और किसी मुश्किल को हल न कर पाने का मतलब भी मनोरोग हैँ!अबतक तो आप समज ही चुके होंगे की kya hain enxiety!तो चलिए अब हम जान लेंगे इसके लक्षण क्यां हैँ?

क्या हैँ इसके लक्षण?

  1. आनुवंशिकता-एंग्जायटी या सायकोसिस, मानसिक रोग, मिर्गी, मदिरापान ये उन लोगो मे ज्यादातर देखा जाता हैँ, जिनके घर मे ऐसे रोगी हैँ उनके आने वाली पीढ़ी मे यह रोग होने की संभावना लगभग दोगुना हो जाती हैँ!

शारीरिक स्तिथि- स्थूल या जाड़े लोगो मे उदासी,हिस्टिरिया,ह्रदय रोग इदयादी रोग ज्यादा देखे जाते हैँ!वैसे ही पतले लोगो मे मुख्यता स्किज़ोफ्रीनिया, तनाव इत्यादि अधिक पाए जाते हैँ!

  1. व्यक्तित्व -अपने आप मे खोये रहने वाले, चूल रहने वाले, काम मित्र रखने वाले लोगो मे स्किज़ोफ्रीनिया अधिक पाया जाता है!
  2. शरीरवृत्तिक कारण-किशोर अवस्था, युवावस्था,वृद्धवस्था, जैसे शारीरिक बदल भी एंग्जायटी का आधार बन सकते हैँ!
  3. खानपान -कुछ दवाई, मदिरा, अथवा मादक  पदार्थो का सेवन भी मानसिक रोग का आधार बन सकता हैँ
  4. मनोवैज्ञानिक कारण - किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु या अपमान, आर्थिक हानी, सन्मान को ठेस, विवाह तलाख, भी एग्जायटी को बढ़ावा देता हैँ!
  5. सामाजिक कारण - अकेलापन प्रकृतिक या सामाजिक दुर्घटना का भी बोहोतब्बूरा असर होके एग्जायटी जैसी बीमारिया होती हैँ!

प्रमुख मानसिक रोग -
       मानसिक विकार बोहोत प्रकार होते हैं !यह डिजीज खाने की आदतों ,व्यक्तित्व ,चिंता अदि से सम्बंधित होते हैं !
 डिप्रेशन
 फोबिया
 मूड डिसऑर्डर
 काग्निटिव डिसऑर्डर
 चिंता

मनोविकारों के प्रकार

तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करते समय आमतौर पर व्यक्ति समस्या केंद्रित या मनोभाव केंद्रित कूटनीतियों को अपनाता है। समस्या केंद्रित नीति द्वारा व्यक्ति अपने बौद्विक साधानों के प्रयोग से तनावपूर्ण स्थितियों का समाधान ढूंढता है और प्रायः एक प्रभावशाली समाधान की ओर पहुंचता है। मनोभाव केंद्रित नीति द्वारा तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करते समय व्यक्ति भावनात्मक व्यवहार को प्रदर्शित करता है जैसे चिल्लाना। यद्यपि, यदि कोई व्यक्ति तनाव का सामना करने में असमर्थ होता है तब वह प्रतिरोधक-अभिविन्यस्त कूटनीति की ओर रूझान कर लेता है, यदि ये बारबार अपनाए जाएं तो विभिन्न मनोविकार उत्पन्न हो सकते हैं। प्रतिरोधक-अभिविन्यस्त व्यवहार परिस्थिति का सामना करने में समर्थ नहीं बनाते, ये केवल अपनी कार्यवाहियों को न्यायसंगत दिखाने का जरिया मात्र है।

शारीरिक समस्याएं जैसे ज्वर, खांसी, जुकाम इत्यदि ये विभिन्न प्रकार के मनोविकार होते हैं। इन वर्गों के मनोविकारों की सूची न्यूनतम व्यग्रता से लेकर गंभीर मनोविकारों जैसे मनोभाजन या खंडित मानसिकता तक है। (American Psychiatric Association) द्वारा मनोविकारों पर नैदानिक और सांख्यिकीय नियम पुस्तक ( Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM)) को प्रकाशित किया गया है जिस में विविध प्रकार के मानसिक विकारों का उल्लेख किया गया है। मनोविज्ञान की जो शाखा विकारों का समाधान खोजती है उसे कहा जाता है।

बाल्यावस्था के विकार

ये जान कर शायद आपको आश्चर्य हो कि बच्चे भी मनोविकारों का शिकार हो सकते हैं। डीएसएम, का चौथा संस्करण बाल्यावस्था के विभिन्न प्रकार के विकारों का समाधान ढूंढता है, आमतौर पर यह पहली बार शैशवकाल, बाल्यावस्था या किशोरावस्था में पहचान में आते हैं। इन में से कुछ सावधान-अभाव अतिसक्रिय विकार पाए जाते हैं जिसमें बच्चा सावधान या एकाग्र नहीं रहता या वह अत्यधिक फुर्तीला व्यवहार करता है। और  जिसमें बच्चा अंतर्मुखी हो जाता है, बिल्कुल नहीं मुस्कुराता और देर से भाषा सीखता है।

व्यग्रता विकार

मुख्य लेख:

यदि कोई व्यक्ति बिना किसी विशेष कारण के डरा हुआ, भयभीत या चिंता महसूस करता है तो कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति  (Anxiety disorder) से ग्रस्त है। व्यग्रता विकार के विभिन्न प्रकार होते हैं जिसमें चिंता की भावना विभिन्न रूपों में दिखाई देती है। इनमें से कुछ विकार किसी चीज से अत्यन्त और तर्करहित डर के कारण होते हैं और जुनूनी-बाध्यकारी विकार जहां कोई व्यक्ति बारबार एक ही बात सोचता रहता है और अपनी क्रियाओं को दोहराता है।

मनोदशा विकार

मुख्य लेख:

वे व्यक्ति जो मनोदशा विकार (मूड डिसॉर्डर) के अनुभवों से ग्रसित होते हैं उनके मनोभाव दीर्घकाल तक प्रतिबंधित हो जाते हैं, वे व्यक्ति किसी एक मनोभाव पर स्थिर हो जाते हैं, या इन भावों की श्रेणियों में अदल-बदल करते रहते हैं। उदाहरण स्वरूप चाहे कोई व्यक्ति कुछ दिनों तक उदास रहे या किसी एक दिन उदास रहे और दूसरे ही दिन खुश रहे, उस के व्यवहार का परिस्थिति से कुछ संबंध न हो। इस तरह व्यक्ति के व्यवहारिक लक्षणों पर आश्रित मनोदशा विकार दो प्रकार के होते हैं -

 

अवसाद ऐसी मानसिक अवस्था है जो कि उदासी, रूचि का अभाव और प्रतिदिन की क्रियाओं में प्रसन्नता का अभाव, अशांत निद्रा व नींद घट जाना, कम भूख लगना, वजन कम हो ना, या ज्यादा भूख लगना व वजन बढ़ना, आलस, दोषी महसूस करना, अयोग्यता, असहायता, निराशा, एकाग्रता स्थापित करने में परे शानी और अपने व दूसरों के प्रति नकरात्मक विचारधारा के लक्षणों को दर्शाती है। यदि किसी व्यक्ति को इस तरह के भाव न्यूनतम दो सप्ताह तक रहें तो उसे अवसादग्रस्त कहा जा सकता है और उस के उपचार के लिए उसे शीघ्र नैदानिक चिकित्सा प्रदान करवाना आवश्यक है।

मनोदैहिक और दैहिकरूप विकार

आज के समय में कुछ बीमारियाँ बहुत ही साधारण बन चुकी हैं जैसे  आदि। वैसे तो ये सब शारीरिक बीमारियाँ हैं परंतु ये मनावैज्ञानिक कारणों जैसे तनाव व चिंता से उत्पन्न होती हैं। अतः मनोदैहिक विकार वे मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं जो शारीरिक लक्षण दर्शातीं हैं, लेकिन इसके कारण मनोवैज्ञानिक होते है। वहीं मनोदैहिक की अवधारणा में मन का अर्थ मानस है और दैहिक का अर्थ शरीर है। इसके विपरीत दैहिकरूप विकार, वे विकार हैं जिनके लक्षण शारीरिक है परंतु इनके जैविक कारण सामने नहीं आते। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति पेटदर्द की शिकायत कर रहा है परंतु तब भी जब उसके उस खास अंग अर्थात पेट में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती।

इलाज

1. मनोरोग चिकित्सक ने अगर दवाई  के बारे मे बताया हो तो दवाई जरूर लेनी चहिये!

2. यह रोग भी बाकि रोगों जैसा हैँ, इसका भी इलाज हो सकता हैँ!

3. दवाई नियमित लेनी चाहिए, बार बार चेक करवाना चाहिए!

4दवाई के सेवान से एंग्जायटी काफ़ी कम होती हैँ! खासकर की जब ये सुरुवाती दौर मे हो!

5. ये दवाईया प्राथमिक तौर पण रासायनिक असंतुलन को बहाल करती हैँ! इनमेसे कुछ दवाई से नींद अति हैँ लेकिन यह नींद की दवाई नाही होती हैँ!

6. मनोरोग भी मधुमेह उच्चरक्तचाप जैसे ही साधारण रोग हैँ!इसकी जाँच भी विशेषज्ञयो की निगरानी मे होती हैँ!

गलत धारना
समाज में मानसिक विकार को गलत तरीके से देखा जाता हैं! मानसिक विकार को एक डिजीज की नजर से कोई नहीं देखता, उसी की वजह से वह अस्पताल नहीं जाकर कासी मुल्ला,पंडित या बाबा के पास जाकर रोगी की दशा बड़ा देते हैं !ऐसा न करके हमें ऐसे रोगियों को अस्पताल में दाखिल करवाना चाइये!

 

Conclusion-अगर आप मे भी किसी ऐसी लाक्षण हैँ तो आप डॉक्टर की राय जरूर ले!

सूचना -
यह ब्लॉग हमने रिसर्च करके बनाई हैं! अगर इसमें कोई आपको कोई कमी लगती हो तोह कमैंट्स करके जरूर बताये!

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