Ebola virus :इबोला वायरस कैसे फेलता है?कारण, लक्षण और उपाय.

इबोला (Ebola virus) एक वायरस है जो पूरे शरीर में गंभीर सूजन और ऊतक क्षति का कारण बनता है। इसे रक्तस्रावी बुखार वायरस के रूप में जाना जाता है,

Ebola virus :इबोला वायरस कैसे फेलता है?कारण, लक्षण और उपाय.
Ebola virus :इबोला वायरस कैसे फेलता है?कारण,लक्षण और उपाय.

इबोला (Ebola virus) एक वायरस है जो पूरे शरीर में गंभीर सूजन और ऊतक क्षति का कारण बनता है। इसे रक्तस्रावी बुखार वायरस के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह शरीर की क्लॉटिंग प्रणाली में समस्याएं पैदा कर सकता है और आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है, क्योंकि छोटी रक्त वाहिकाओं से रक्त का रिसाव होता है।इबोला एक प्रकार का वायरल रक्तस्रावी बुखार है जो इबोलावायरस जीनस के वायरस की कई प्रजातियों के कारण होता है। इबोला के लक्षण फ्लू जैसे शुरू होते हैं लेकिन गंभीर उल्टी, रक्तस्राव और न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क और तंत्रिका) समस्याओं में बदल सकते हैं। इबोला चमगादड़, अमानवीय प्राइमेट और मृग से लोगों में फैल सकता है।

इबोला विषाणु रोग (EVD) या इबोला हेमोराहैजिक बुखार (EHF) इबोला विषाणु के कारण लगने वाला अत्यन्त संक्रामक एवं घातक रोग है। आम तौर पर इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच शुरू होते हैं; जिसमें बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द होता है।इबोला वायरस का प्राकृतिक भंडार मेजबान अज्ञात बना हुआ है । हालाँकि, सबूतों और समान वायरस की प्रकृति के आधार पर, शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि यह वायरस पशु-जनित है और चमगादड़ इसका सबसे संभावित भंडार हैं। पाँच में से चार वायरस उपभेद अफ़्रीका के मूल निवासी पशु मेज़बान में पाए जाते हैं।

सभी पाँच प्रजातियाँ (ज़ैरे इबोलावायरस, सूडान इबोलावायरस, रेस्टन इबोलावायरस, बुंडीबुग्यो इबोलावायरस, और ताई फ़ॉरेस्ट इबोलावायरस) अच्छी तरह से अलग हैं, और दो घातक प्रजातियाँ ज़ैरे इबोलावायरस और सूडान इबोलावायरस एक ही शाखा में हैं।वास्तव में, इबोला विषाणु दिखने में बेहद विविध होते हैं - वे 80 एनएम (नैनोमीटर) के लगातार व्यास के साथ लचीले तंतु होते हैं, लेकिन वे लंबाई (हालांकि उनकी जीनोम लंबाई स्थिर होती है) और घुमाव की डिग्री में बहुत भिन्न होते हैं। नकारात्मक रूप से दागदार विषाणु। आवर्धन: लगभग x60,000.इबोलावायरस संक्रमित लोगों के रक्त (जैसे श्लेष्मा झिल्ली या टूटी त्वचा के माध्यम से), या अन्य शारीरिक तरल पदार्थ (जैसे लार, मूत्र या उल्टी), उनके मृत शरीर, या संक्रामक तरल पदार्थ से गंदी किसी भी सतह और सामग्री के सीधे संपर्क से अत्यधिक फैलता है।

कारण
1- इबोला वायरस संक्रमित जानवरों के काटने या खाने से लोगों में फैलता है। बता दें कि विशेषज्ञों ने वायरस के अध्ययन के लिए जानवरों की चीर-फाड़ की तो उन्हें भी संक्रमण हो गया था।
2- इबोला से पीड़ित रोगी के शरीर से निकलने वाले पसीना, खून या दूसरे तरल पदार्थ से यह वायरस फैलता है। इसीलिए इबोला के रोगी को अलग रखा जाता है।
3- इस वायरस के कारण रोगी की मौत हो जाने के बाद भी संक्रमण का खतरा रहता है और शव के संपर्क में आने से भी वायरस फैलता है।
4- यह भी आशंका है कि संक्रमित चमगादड़ों के मल-मूत्र से संपर्क में आने से इबोला वायरल फैल सकता है। बताते चलें कि अफ्रीका की कुछ गुफाओं में जाने पर पर्यटक इस वायरस से संक्रमित हो गए थे।

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इबोला वायरस के लक्षण क्या है ? (What are the Symptoms of Ebola Virus in Hindi)

इबोला वायरस से संक्रमित होने पर पांच से सात दिन में शुरुवाती लक्षण नजर आने लगते है।

  • जैसे: बुखार होना।
  • कमजोरी महसूस करना।
  • मांसपेशियो में दर्द होना।
  • जोड़ो में दर्द होना।
  • ठंड लगना।
  • असहनीय पीड़ा होना।
  • गंभीर होने पर कुछ अन्य लक्षण नजर आ सकते है।
  • पेट में दर्द होना।
  • छाती में दर्द होना।
  • अंदरूनी रक्तस्राव होना।
  • वजन बहुत जल्दी कम होना।
  • आंखो में नीलापन।
  • उल्टी व मलती।

इबोला वायरस का इलाज क्या है ? (What are the Treatments for Ebola Virus in Hindi)

इबोला वायरस के उपचार के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। हालांकि वैज्ञानिक इसपर शोध कर रहे है।

  • एंटीवायरल दवा इस संक्रमण को रोकने में कुछ खास काम नहीं आती है। इस संक्रमण के लिए कोई एंटीबायोटिक नहीं है। हालांकि मरीज को चिकित्सीय देखभाल कुछ इस तरह की जाती है।
  • शरीर में खून की कमी नहीं होने देना।
  • तरल पदार्थ पिलाना।
  • बीमारी होने पर अन्य संक्रमण का इलाज करना ताकि संक्रमण बढ़ न सके।
  • ब्लड प्रेशर को सामान्य रखना।
  • जरूत होने पर ऑक्सीजन देना।

इबोला वायरस से बचाव कैसे करें ? (Prevention of Ebola Virus in Hindi)

इबोला वायरस से बचाव सर्वप्रथम बीमारी के प्रति जागरूक होना बहुत जरुरी है। सावधानी बरतने पर इस संक्रमण को फैलने से रोक सकते है।

  • अगर आप अफ्रीका घूमना चाहते है, तो वहा के के बारे में अच्छे से जाने व महामारी की स्तिथि को जान ले।
  • किसी भी अन्य संक्रमण से खुद को बचाये ताकि इबोला संक्रमण से बच सके। कोई जगह पर हाथ लगाने से उस हाथ को अच्छी तरह धो ले। हाथ धोने के लिए किसी अच्छे सेनेटाइजर का उपयोग करे या अल्कोहल वाले सेनेटाइजर से धो ले।
  • अगर आप मरीज की देखभाल कर रहे है तो मरीज के पसीने, मल, रक्त स्राव, खून, लार, आदि के संपर्क में आने से खुद का बचाव करे। इबोला के अंतिम चरण में मरीज के लिए बहुत घातक साबित होता है।
  • अफ्रीका में यदि यात्रा करने जा रहे है, तो जानवरो के मांस को खाने से बचना चाहिए।
  • संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए आप दस्ताने का उपयोग करे, पुरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहने, मास्क लगाकर रखे। संक्रमित व्यक्ति से दूर रहे।
  • इबोला या मारबर्ग पीड़ितों के शव अधिक संक्रमित हो जाता है, इससे अधिक फैलने का खतरा रहता है। इन शव का अंतिमसंस्कार कुछ विशेष उपकरण द्वारा करवाना चाहिए ताकि शव के क्रिया करम करने वाले को न संक्रमण फैले।

अगर आपको इबोला वायरस के बारे में अधिक जानकारी एव उपचार करवाना हो, तो हेमाटोलॉजिस्ट (Hematologists) से संपर्क कर सकते है।